बच्चे हो तुम मेरे आगें तमाशा न कर तू आ के
इस खेल में माहिर हु मैं चला जा तू अब यहाँ से
मुझे जरूरत नहीं हैं तख़्त ओ ताज की
हम ख़ुद में ही सुल्तान हैं मालिक हैं यहाँ के
सहरा के आगे मैंने अपना मकान बनाया हैं
तू अब माथा अपना रगड़ता जा मेरे यहाँ आ के
मत पूछ के अब क्या हाल करुगा मैं तेरा
देख अब तू चला जा शमशीर हैं अब मेरे हाथ में
सच कहता हूँ ख़ुदा की कसम खा के
अब मैं तुझे कही का नहीं छोडूंगा क़सम से
बहोत इतरा रहा हैं तू अपनी होशियारी पे
अब तेरा नाम बाकी नहीं रहेगा इस दुनिया में
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