क्या लगता हूँ मैं तेरा क्या मिलता है तड़पाने मेंकौन हो तुम.....।

कौन हो तुम क्यों आये हो मेरे मन के बिराने में
क्या लगता हूँ मैं तेरा क्या मिलता है तड़पाने में
कौन हो तुम.....।
अब तक जीत था मैं बिन खवाबों के बंजर सा 
न फिकर थी कोई न आंखों में कोयी मंजर था
आकर के आग लगा दी तुमने दिल के हर कोने में
कौन हो तुम .....।
सच बोलू तो अच्छा लगता है दिल को तेरा मिलना
पल भर भी न लगा मुझकों मैंने तुमको अपना माना
एक एक पल से डर लगता है तुझको खोने में
कितनी खुश हूँ मैं इससे पहले मैं रहती थी कैसी
सब कुछ मिल जाएगा मुझको तेरा मेरे होने में
कौन हो तुम क्यों आए हो

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