भले ख़ुश हो न हो, बाहर तो ख़ुद को ख़ुश दिखाना है ।छलक लेना ए आँखो फिर अभी तो मुस्कुराना है

1⃣.ग़ज़ल


भले ख़ुश हो न हो, बाहर तो ख़ुद को ख़ुश दिखाना है ।
छलक लेना ए आँखो फिर अभी तो मुस्कुराना है ।

अभी भी तैरते तो हैं मगर अब दम नहीं बाक़ी ।
बख़ूबी जानते हैं हम कि एक दिन डूब जाना है ।

न कोई शख़्सियत गहरी न किरदारों में सच्चाई ।
बड़ी उथली है ये दुनिया बहुत झूठा ज़माना है ।

न दिल में खुशबुऐं उड़तीं न होता रक़्स ख़ुशियों का ।
मगर इन ख़ुश्क होठों पर उम्मीदों का तराना है ।

मेरी जेबें तो खाली हैं, मगर हूँ बादशा फिर भी ।
मेरे मासूम से दिल में मोहब्बत का ख़ज़ाना है ।

यहाँ कैसे लगेगा दिल यहाँ कैसे रहेंगे हम ।
जिसे तुम ज़िन्दगी कहते हो असल में क़ैदख़ाना है ।

हमीं ने ख़ुद को मारा है हमीं मारेंगे फिर ख़ुद को ।
हमीं ख़ुद हैं निशाने पर हमारा ही निशाना है ।

✍🏻Aakif Zayn

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