तेरी कमी


उठता हूँ तो
सब ख़ामोश होता है मेरे अंदर
बस धीमी-धीमी सी आवाज़
जो
रात होते होते चीखों में बदल जाती है
फ़िर 
थक जाता हूँ
सो जाता हूँ

टिप्पणियाँ